संस्थापक जी का सन्देश

भारतीय संस्कृति के मूल एवं समाज के लिए सर्वविध कल्याणकारी मार्ग का आदेश एवं उपदेश करने वाले अपौरुषेय वेदों की विलुप्त होती श्रुति-परम्परा के संरक्षण-संवर्द्धन एवं प्रचार-प्रसार का एक समाजोपयोगी प्रकल्प है।

भारत में वेद विद्या की सस्वर परम्परा को विलुप्त होते देखकर भारत के प्रत्येक जिले में गुरुकुल पद्धति तथा श्रुतिपरम्परा के अनुसार वेद विद्यालय प्रारम्भ करने का संकल्प लिया गया।

  • भारत को चट्टान की तरह जोड़ने में वेद ही एकमात्र माध्यम हैं।
  • सम्पूर्ण भारत में वेदमन्त्रों की सस्वर ध्वनि सुनाई देनी चाहिए।

श्रद्धेय अशोक सिंघल जी

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