गुरुकुल परम्परा के अनुसार सम्पूर्ण शिक्षा आवासीय है।
विद्यार्थी को न्यूनतम 8 वर्ष तक विद्यालय में रहकर अपना अध्ययन पूर्ण करना होता है।
संस्था के द्वारा संचालित वेद विद्यालय में प्राचीन गुरुकुल प्रणाली से अध्ययन की परम्परा है, जिसमें छात्र गुरु के मुख से मन्त्रों के उच्चारण को श्रवण करके उन्हें उसी रूप में कण्ठस्थ करते हैं तथा आधुनिक पद्धति से अन्य विषयों का अध्ययन करते हैं।
प्रायः विद्यार्थियों को सम्पूर्ण अध्ययन श्रुति परम्परा के अनुपालन में मौखिक कण्ठस्थीकरण के माध्यम से कराया जाता है।
संस्कृत भाषा के मूल धातु एवं उससे बनने वाले शब्द उदात्त, अनुदात्त एवं स्वरित आदि स्वरों से युक्त होते हैं। वैदिक मन्त्रों के संरक्षण में जिनका ज्ञान होना नितान्त आवश्यक अङ्ग है। वर्तमान में स्वर सहित उच्चारण पद्धति प्रायः विलुप्त हो चुकी है, जिसके संरक्षण हेतु योग्य वेदाचार्यों के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों को स्वर सहित वेदाध्ययन कराना संस्था का प्रमुख उद्देश्य है।